मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
महुअक करऽ वर चललाह, वर चललाह हे
दुनू दिस अरिपन जोड़ि, कन्या वर बैसाओल
खीरियो ने खाइ छथि सुन्दर वर, खिर केँटारय
कहियनु गऽ हे ससुर के, खीरियो ने खाइ छथि हे
खीर खाउ-खीड़ खाउ, सुन्दर वर हे महुअक करू हे
अँउठी जे देबनि गढ़ाय, सुन्दर वर करू महुअक हे
सासु ससुर के मनाओल हे, मोहर तोरि गढ़ाएब
ननुआ जमाए हे
भनहि विद्यापति गाओल, फल पाओल
धन गौरी केर भाग, सुन्दर वर पाओल