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महुआ के तरै तरै रैहो / बुन्देली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

महुआ के तरैं तरैं रैहों,
मरोरा की एकऊ न सैहों।
अपने ससुर की सब सुन लैहों,
सासों से बीन बीन कैहों। मरोरा की...
अपने जेठ की सब सुन लैहों,
जिठानी से रार ठान लैहों। मरोरा की...
अपने ननदेऊ की सब सुन लैहों,
ननदी की विदा कर दैहों। मरोरा की...
अपने देवर की सब सुन लैहों,
छोटी को घर से भगा दैहों। मरोरा की...
महुआ के तरैं तरैं रैहों।