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महेश कुमार के नाम / कांतिमोहन 'सोज़'

(यह ग़ज़ल महेश कुमार के नाम)

सर उठाने की कोई बात तो हो।
तीर खाने की कोई बात तो हो।।

ये सितम दिल पे करके देखेंगे
मुस्कराने की कोई बात तो हो।

बर्क़ कौंधेगी आस्मानों में
आशियाने की कोई बात तो हो।

दिल लगाने की रुत नहीं न सही
जी जलाने की कोई बात तो हो।

मैं बुढ़ापे को दोष क्यूँकर दूँ
याद आने की कोई बात तो हो।

पास आना अगर नहीं मुमकिन
पास आने की कोई बात तो हो।

सोज़ रख दे क़लम कुदाल उठा
इस ज़माने की कोई बात तो हो।।

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