बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
माँगे चार मिलें ना भाई।
बिन पूरब पुन्याई।
बिन पुरब को पुन्य मिलै ना,
बिरथाजात बड़ाई
बिन पूरब के पुन्य मिलै ना
जे सरीर सुखदाई।
बिन पूरब के पुन्य मिलै ना
सुन्दर नार सुहाई
बिन पूरब के पुन्य ईसुरी
कौनें सम्पत पाई?