गांव से आया है मां का पञ
टेढ़े-मेढ़े अक्षर
सीधे-सादे शब्द
सब कुशल मंगल
मेरी कुशलता की कामना
पैसों की जरूरत नहीं
अच्छे से रहने की हिदायतें
और बाकी सब खैरियत
मां ने बुलाया नहीं है गांव
लेकिन
मैं जानता हूं
शब्द जो हैं अर्थ वह नहीं है
झर रही होंगी नीम की पत्तियां
और एक उदास पीला दिन
उतर रहा होगा मां के भीतर
मां खुद भूखी रहकर
बिखेर देती है
चिडियों के लिए दाने
उन्हीं चिडियों में से
एक नन्हीं चिडिया
मेरे सपने में
बताने चली आयी है मां का हाल
मुझे बुलाया है
आंगन के चिडियों भरे उदास नीम ने
तुलसी पर झुके
मां के भीगे हुए चेहरे ने.