Last modified on 16 मई 2017, at 16:36

माँ की तस्वीर / अखिलेश्वर पांडेय

यह मेरी माँ की तस्वीर है
इसमें मैं भी हूँ
कुछ भी याद नहीं मुझे
कब खींची गयी थी यह तस्वीर
तब मैं छोटा था

बीस बरस गुजर गए
अब भी वैसी ही है तस्वीर
इस तस्वीर में गुड़िया-सी दिखती
छोटी बहन अब ससुराल चली गयी
माँ अभी तक बची है
टूटी-फूटी रेखाओं का घना जाल
और असीम भाव उसके चेहरे पर
गवाह हैं इस बात के
चिंताएं बढ़ी हैं उसकी

पिता ने भले ही किसी तरह धकेली हो जिंदगी
माँ खुशी चाहती रही सबकी
ढिबरी से जीवन अंधकार को दूर करती रही माँ
रखा एक एक का ख्याल
सिवाय खुद के

मैं नहीं जानता
क्या सोचती है माँ
वह अभी भी गांव में है
सिर्फ तस्वीर है मेरे पास
सोचता हूँ
माँ क्या सचमूच
तब इतनी सुंदर दिखती थी