बंदूक की गोली से भी
ऊँची भरी उड़ान
पक्षी ने
देर तक
उड़ता रहा आसमान में
सुनता रहा बादलों को
देखता रहा
चमकती बिजलियाँ
उस समय
घूम रही थी पृथ्वी
घूम रहा था समय
ठीक उसी समय टूटी
बूढ़ी माँ की नींद
क्यों टूटी
बूढ़ी माँ की नींद?
बंदूक की गोली से भी
ऊँची भरी उड़ान
पक्षी ने
देर तक
उड़ता रहा आसमान में
सुनता रहा बादलों को
देखता रहा
चमकती बिजलियाँ
उस समय
घूम रही थी पृथ्वी
घूम रहा था समय
ठीक उसी समय टूटी
बूढ़ी माँ की नींद
क्यों टूटी
बूढ़ी माँ की नींद?