सूरज से कहो
रौशनी न दे
अंधेरों में रह लूंगी.
चाँद से कहो
चाँदनी न दे
बिन चाँदनी जी लूंगी.
तारों से कहो
अपनी चमक न दें
रास्तों में भटक लूंगी.
ऋतुओं से कहो
रंग बदलना छोड़ दें
बेरंगी ही रह लूंगी.
सब दुःख सह लूंगी
पर बेटा मेरा लौटा दो मुझे
वह सिर्फ़ देश प्रेमी और
सिपाही ही नहीं, इन्सां भी है.
२० वर्ष भी पूरे नहीं
किए उसने,
लड़ने का ही नहीं
जीने का भी हक़ है उसे.