वक़्त के चूल्हे पर चढ़ी है
जीवन की हांड़ी
खौल रहा है उसमें
आँसू का अदहन
अभी-अभी माँ डालेगी
सूप भर दुख
और झोंकती अपनी उम्र
डबकाएगी घर-भर की भूख !
वक़्त के चूल्हे पर चढ़ी है
जीवन की हांड़ी
खौल रहा है उसमें
आँसू का अदहन
अभी-अभी माँ डालेगी
सूप भर दुख
और झोंकती अपनी उम्र
डबकाएगी घर-भर की भूख !