Last modified on 13 जून 2018, at 22:58

माँ के लिए (दो) / महमूद दरवेश

आकाश पर
लुढ़क रहा है आँसू
उदासी भरे तारों को बेधते हुए

यदि लौट आऊँ, माँ !
तू अपनी आँखों के दुशाले से
सेंकना मुझे
मेरी ठिठुरती हड्डियों पर ढँकना तू
नम धरती के पालने पर उगी
और तेरे क़दमों से पवित्र हुई घास

स्वतन्त्र, बिना ज़ंजीरों के
लेटा हूँ मैं
पड़ा हुआ हूँ तेरी चौखट पर

रो मत माँ
अपनी उदासी छुपा तू
शुभ्र मुस्कान के पीछे

सम्भव है
जब तेरी आत्मा
छू लूँगा मैं अपने धवल होंठों से
तो बन जाऊँगा ईश्वर

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय