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मां की याद / कमलेश्वर साहू


मां की याद
ऐसे आती है
जैसे आती है महक
बाग के किसी कोने से
कोने में खिले किसी फूल से
जैसे आती है माटी-गंध
आषाढ़ की
पहली बारिश में
आंगन की
भीगी हुई काली मिट्टी से-
ठीक ऐसे ही आती है
मां की याद
जो अब रही नहीं
इस दुनिया में
मेरे लिये
मां की याद
मां का
इस दुनिया में होना है !