सखी! माघ महिनवा अमवा मउराला
देख त कईसन सवनवा बउराईल
अब हम फगुआ के फाग सुनाईं
के असो बईठ के कजरी गाईं
मारsता करेजवा में जोर हो रामा, माघ के महिनsवा
सखी,माघ महिनवा सरसों पियराला
देख त कईसन इ,घाटा घिर आईल
अब हम आपन खेत सरियाईं
के सरसों के फर फरीयाईं
भीजsता अचरवा के कोर हो रामा, माघ के महिनsवा
सखी, माघ महिनsवा के घाम सोहाला
देख त कईसन झटास भर आईल
कैसे सुरुज के हम जलवा चढाई
कैसे फूलगेंदवा के झरला से बचाईं
देहिया सिहराला पोरे पोर हो रामा, माघ के महीनsवा