Last modified on 12 मार्च 2019, at 09:13

माझी नैया पार लगाना / रंजना वर्मा

मांझी नैया पार लगाना।
बहुत दूर है मुझको जाना॥

उमड़ रही हैं लहरें प्यासी
साथी इनसे नाव बचाना॥

लगा डराने अँधियारा है
आशा का एक दीप जलाना॥

शाश्वत मृत्यु बाँह फैलाती
लेकिन इनसे क्या घबराना॥

कर्म मात्र है हाथ हमारे
फल क्या होगा किसने जाना॥

घेर रहीं कौरव सेनाएँ
धर्म पड़ेगा पुनः बचाना॥

मीरजाफ़रों की नगरी है
इनसे बच कर कदम बढ़ाना॥