हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
माता! किन तेरा बाग लगाइयां किन तेरा सींजा सै पेड़।
माली के नै बाग लगाइयां मालण सींजा सै पेड़।
सोवे सोवे हे मजेन्दरा राणी नीन्द मैं।।
माता किन तेरी डाल झुकाई अर किन तेरा तोड़ा सै फल।
माली कै ने डाल झुकाई मेरी मालन तोड़ा फल।
सोवे सोवे हे मजेन्दरा राणी नीन्द में।।
माता! बालक छेल गाल मकें खेलैं चढ़गा ताप।
माता! लकड़दी माता न्यूं लकड़ जनों बाजरीया की हुनियार
सोवो सोवो हे बसन्ती राणी नीन्द में।।
माता! भरदी माता न्यूं भरै जणों पील्हां की हुनियार।
सोवो सोवो हे गुमाणन राणी नीन्द में।।
माता! ढलदी माता न्यूं ढल जणों पालै ज्यूं झड़जाए।
सोवो सोवो हे बसन्ती राणी नीन्द में।।