मातृभूमि-भारत माता को मेरा है शत बार प्रणाम।
सारे जग में जो है सभ्यता और संस्कृतियों का बिहान,
वाणी में है गीता का स्वर, वेद-ऋचाएं जिसका ज्ञान,
आदि-सनातन उस भूमि की गौरव गाथा है अभिराम।
मातृभूमि-भारत माता को मेरा है शत बार प्रणाम।।
गंगा-यमुना वक्ष पे बहती, गौरव ताज हिमालय सर पर,
पश्चिम अरब, हिन्द दक्षिण में, पूरब में है गंगासागर,
कण-कण देव तुल्य है भूमि, जहाँ चतुर्दिक हरि का धाम।
मातृभूमि-भारत माता को मेरा है शत बार प्रणाम।।
छः ऋतु का श्रृंगार जहाँ पर, जहाँ हरेक मन हिंदुस्तानी,
जहाँ देश के गौरव सैनिक, जहाँ एकता है चट्टानी,
कीर्तन और नबाज जहाँ पर, होते साथ में सुबहो-शाम।
मातृभूमि-भारत माता को मेरा है शत बार प्रणाम।।