ऐ मातृभूमि! तेरी जय हो सदा विजय हो।
प्रत्येक भक्त तेरा सुख-शांति-कांतिमय हो॥
अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में।
संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो॥
तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो।
तेरी प्रसन्नता ही आनंद का विषय हो॥
वह भक्ति दे कि सुख में तुझको कभी न भूलें।
वह शक्ति दे कि दुख में कायर न यह हृदय हो॥