मात यशोमति मग्न मना, छवि श्माम लखै नित ही न अघाती
ज्ञान न योग न ध्यान धरे, सुत से पर मात वही सुख पाती।
मोहन को पलना रखि कै, नित मात सुहावन लोरि सुनाती।
रोदन श्याम करें यदि तो, निज वक्ष लगा चुप ठोक कराती।
मात यशोमति मग्न मना, छवि श्माम लखै नित ही न अघाती
ज्ञान न योग न ध्यान धरे, सुत से पर मात वही सुख पाती।
मोहन को पलना रखि कै, नित मात सुहावन लोरि सुनाती।
रोदन श्याम करें यदि तो, निज वक्ष लगा चुप ठोक कराती।