Last modified on 24 अक्टूबर 2013, at 12:30

मानता / इमरोज़ / हरकीरत हकीर

समझ, समझ के बनती है
पर मानता बगैर समझे ही बन जाती है मानता
लोग मानता के साथ ही
काम चला रहे हैं
मज़हब चला रहे हैं
ज़िन्दगी चला रहे हैं
और अपना आप भी...