मानव हूं मैं (कविता अंश)
मानव हूं मैं, सदा मुझे सुख मिल न सकेगा
पर मेरा दुख भी हे प्रभु! कटने वाला हो।
और मरण जब आवे, तब मेरी आंखों में
अश्रु न हों , मेरे ओठों में उजियाला हो।
(मानव हूं मैं कविता अंश)
मानव हूं मैं (कविता अंश)
मानव हूं मैं, सदा मुझे सुख मिल न सकेगा
पर मेरा दुख भी हे प्रभु! कटने वाला हो।
और मरण जब आवे, तब मेरी आंखों में
अश्रु न हों , मेरे ओठों में उजियाला हो।
(मानव हूं मैं कविता अंश)