मानस के तल के नीचे है नील अतल लहराता तल पर लख अपनी छाया तू लौट-लौट क्यों जाता? है काम मुकुर का केवल करना मुख-छवि प्रतिबिम्बित- क्या इसी मात्र से उस की है यथार्थता परिशंकित? 1936