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मामा / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

मामा एैलेॅ मामा एैलेॅ
साथोॅ में मामी भी एैलेॅ

एैथें मामी गोदी लेलकै
बहुत प्यार सें चूमी लेलकै

मामी गोरी सुन्दर छै
करमोॅ के बहुत सिकंदर छै

ई बात कहलियै मामा से
हुनि हँसलै बहुत गुमानोॅ से

मामा साथें गेलियै मेला
मेला में सर्कस अलबेला

तातामांची पर भी चढ़लां
भीड़ोॅ के ठेलमठेला सहलां

मामी साथें मेला घुमलां
मुढ़ी चाट मलाई खैलां

मामा खैनें छेलै भांग
गिरलोॅ छेलै चार चितांग।