Last modified on 20 जुलाई 2012, at 13:47

मायक आशिर्वाद / त्रिपुरारि कुमार शर्मा

घर सँ बहराइतेँ माइ कहलनि
जा, ...जाए छs त मुदा
एकटा बात मोन मे खोइस लs
जखन कहियो आकाश बाटे जहिs त
सम्हरि केँ चलिहs आ किछु आन चीज नहि छूबिहs
चान तरेगनक गाम आएत
लागत पैरक ठेस त टूटि जायत
बड्ड नोखगर होइत अछि घोपाइयो जाइत
जखन रौद फुटत तखने यात्रा करिहs
किएsकि रौदे मे रहय छै ठंढक छॉव
भगवाने बचेताs तोरा सभ दुख सँ
हमर आशीर्वाद त साथहि छs “बऊआ”