राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
गीत माया में बैठने का
बैठो बैठो माया घी गुल धाया, बाबाजी मायरा जतन करावे।
काकाजी घी का झारा दिरावे, बैठो बैठो माया घी गुल धाया।
मायड़ म्हारी लुललुल पाव लागे, काकीजी म्हारी लुल लुल पाव लागे।
बैठो बैठो माया घी गुल धाया, नानाजी मायारा जतन करावे।
मामाजी घी का झारा दिरावे, बैठो बैठो माया घी गुल धाया।
नानियां म्हारी लुललुल पाव लागे, मामियां म्हारी लुल लुल पाव लागे।
बैठो बैठो माया घी गुल धाया, फूफाजी मायारा जतन करावे।
जीजाजी घी का झारा दिरावे, बैठो बैठो माया घी गुल धाया।
बुआजी म्हारी लुललुल पाव लागे, बहणा म्हारी लुल लुल पाव लागे।