मारा मारा कहि के (क)
मारा मरा कहि के बाल्मीकि मुनी तरन भये,
हम तो राम नाम निसि वासर लिया करें।
सुग्गा के पढ़ावत में गनिका के तारे प्रभु,
कहिए कृपानिधान कब तक रटा करें।
गरजी की अरजी मगर मरजी तिहारो नाथ,
कीजे ना अनाथ हमें तू दरसन दिया करें।
द्विज महेन्द्र बार-बार कहता हूँ करि प्रचार,
तारो या न तारो हम तो दरसन किया करें।