देह के भारी
भरे भार के,
मोटे, मालदार,
मालगोवा आम,
अच्छे हैं
पयोधरी उभार के,
शस्य-श्याम
शाद्वली-सँवार के
मीठे, मजेदार,
और दलदार,
ओठ जैसे रसदार
रचनाकाल: १६-०६-१९७६, मद्रास
देह के भारी
भरे भार के,
मोटे, मालदार,
मालगोवा आम,
अच्छे हैं
पयोधरी उभार के,
शस्य-श्याम
शाद्वली-सँवार के
मीठे, मजेदार,
और दलदार,
ओठ जैसे रसदार
रचनाकाल: १६-०६-१९७६, मद्रास