मिठ बोलनी नवल मनिहारी।
मौहैं गोल गरूर हैं, याके नयन चुटीले भारी॥
चूरी लखि मुख तें कहै, घूंघट में मुसकाति।
ससि मनु बदरी ओट तें, दुरि दरसत यहि भांति॥
चूरो बडो है मोल को, नगर न गाहक कोय।
मो फेरी खाली परी, आई सब घर टोय॥
मिठ बोलनी नवल मनिहारी।
मौहैं गोल गरूर हैं, याके नयन चुटीले भारी॥
चूरी लखि मुख तें कहै, घूंघट में मुसकाति।
ससि मनु बदरी ओट तें, दुरि दरसत यहि भांति॥
चूरो बडो है मोल को, नगर न गाहक कोय।
मो फेरी खाली परी, आई सब घर टोय॥