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मिथिलाक दुःदशा / कालीकान्त झा ‘बूच’

नकशा सँ मिटा रहल मिथिलाक नाऊँ गय
कतऽ हमर पीढ़ी अछि कतऽ हमर ठाँऊ गय
भारत सँ भिन्नो भ' बनलै बंगाल देश,
मुदा अपन देशे मे दावल मिथिला प्रदेश,
राज्यक की बात कठिन पाँचो टा गाऊॅं गय
कतऽ हमर...

हमर अमर षड़दर्शन हमर अचर साधु संत,
हमर अजर वन उपवन हमर अपन वर बसंत,
कवि कोकिल निकट काक करै काउॅ - काउॅ गय
कतऽ हमर ...

लोकवेद जागि रहल ओंघायल नेता छथि,
अपने मे लड़ि - लड़ि कऽ घायल विजेता छथि,
पूछत के हाल दशा ककरा सुनाऊॅ गय
कतऽ हमर...

महिषी वा करियन हो, वाजितपुर मंगरौनी,
सरिसब सँ चौमथ धरि बनला सभ क्यो मौनी,
देशक सभ सँ दरिद्र मैथिल कहाँऊ गय
कतऽ हमर...