Last modified on 3 अप्रैल 2018, at 20:16

मिनख-दोय / ॠतुप्रिया

म्हूं थां स्यूं
बात करती डरूं
कांईं ठा’ मुंडै स्यूं
कांईं निकळज्यै
अर थूं हुज्यै
निराज
पछै थूं जीवै
आपरै ‘इगो’ साथै

पण
म्हूं सोचूं
कितीक हुवै जिनगी
कांईं ठा’ कद हुज्यै
राम नाम सत

‘इगो’ क्यूं पाळै
मिनख।