बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
मिलकें रजऊ बिछुर जिन जाऔ,
पापी प्रान जियाऔ।
जब सें चरचा भई जावे कीं,
टूटन लगों हियाऔ।
अँसुआ चुअत जात नैनन सौं
रजऊ पोंछ लो आऔ।
ईसुर कात तुमाये संगै,
मेरौ भऔ बियाऔ।
मिलकें रजऊ बिछुर जिन जाऔ,
पापी प्रान जियाऔ।
जब सें चरचा भई जावे कीं,
टूटन लगों हियाऔ।
अँसुआ चुअत जात नैनन सौं
रजऊ पोंछ लो आऔ।
ईसुर कात तुमाये संगै,
मेरौ भऔ बियाऔ।