मिला जिसको हरि मिलनानंद।
डूबा वही अतल तल में रस-सागर के स्वच्छन्द॥
जग के भोग-राग सब छूटे, टूटे सब छल-छन्द।
श्याम-चरण-पंकज मधु-रस-रत मन हो गया मिलिन्द॥
मिटी वासना, भुक्ति-मुक्ति की, पड़ा स्नेह का फन्द।
होता प्रतिपल नव सुख सर्जन देख-देख मुख-चंद॥
मिला जिसको हरि मिलनानंद।
डूबा वही अतल तल में रस-सागर के स्वच्छन्द॥
जग के भोग-राग सब छूटे, टूटे सब छल-छन्द।
श्याम-चरण-पंकज मधु-रस-रत मन हो गया मिलिन्द॥
मिटी वासना, भुक्ति-मुक्ति की, पड़ा स्नेह का फन्द।
होता प्रतिपल नव सुख सर्जन देख-देख मुख-चंद॥