मिला है सुख हमेशा इस जमीं से
नहीं करते शिकायत हम किसी से
अँधेरा ही हमेशा है डराता
नहीं डरता है कोई रोशनी से
नहीं रहती कोई चाहत अधूरी
अगर जीता रहे कोई खुशी से
नियम कानून या फिर रस्म कोई
नहीं हैं होड़ करते आशिकी से
सिवा तेरे न कुछ भी याद रहता
हैं आजिज़ आ गए हम बेखुदी से
नज़र के तीर क्यों बरसा रहा तू
न हम को देख ऐसे बेरुखी से
हो मुमकिन तो कोई उम्मीद दे दो
न हो मायूस कोई जिंदगी से