धोरों की पाल पर
सलफलाती घूमती है
जहरी बांडी
मिलता नहीं कहीं भी
मिनख का जाया ।
भले ही
हो सपेरा
मिले तो सही
कहीं
माणस की गंध ।
धोरों की पाल पर
सलफलाती घूमती है
जहरी बांडी
मिलता नहीं कहीं भी
मिनख का जाया ।
भले ही
हो सपेरा
मिले तो सही
कहीं
माणस की गंध ।