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मिल्कियत / रणजीत

तुम चाहे जितने कानून बनवा लो नये नये
मिल्कियत तो हमारे ही पास रहेगी
तुम प्रधान की सीट आरक्षित कर दो
औरतों के नाम
हम अपनी ठकुरानी या बहु को लड़वा देंगे
सीट पिछड़ी जाति की हुई तो
हम अपने दूधिये को खड़ा कर देंगे
तुम सीट अनुसूचित जाति की घोषित करो
हम अपने धोबी या नाई को लड़वा देंगे
तुम डाल-डाल हम पात-पात
हाँ असली संकट तब खड़ा होगा
जब हमारी बहू, हमारा ही दूधिया
हमारा ही धोबी या हमारा ही नाई
हमसे ही म्याऊं करने लगेगा
वैसी स्थिति में हम सब कुछ छोड़ देंगे
भगवान के भरोसे
और सन्यासी हो जाएंगे
मालिक नहीं रहेंगे तो क्या हुआ
‘स्वामी’ बन जाएंगे
और तुमसे भी
अपने पाँव पुजवाएंगे