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मीठे-मीठे बोल / अनुभूति गुप्ता

मीठे-मीठे बोल
बच्चों सदा बोलो,
हृदय का द्वार
दूसरों की मदद को
बच्चों सदा खोलो।

कड़वे शब्दों से
किसी के मन को
ठेस न पहुँचाना,
मन से खुश रहना
सदा मुस्कुराना।

मीठे-मीठे बोल
अमृत जैसे हैं ,
कड़वे शब्द विषैले हैं।
आओ, बच्चों हम सभी
मिलकर प्रतिज्ञा लंेगे,
जीवन में सदा ही
मीठे-मीठे बोल बोलेंगे।