सीटी देकर पास बुलावै।
रुपया ले तो निकट बिठावै॥
लै भागै मोहि खेलहिं खेल।
क्यों सखि साजन, नहिं सखि रेल॥
सतएँ-अठएँ मा घर आवै।
तरह-तरह की बात सुनावै॥
घर बैठा ही जोड़ै तार।
क्यों सखि साजन, नहीं अखबार॥
सीटी देकर पास बुलावै।
रुपया ले तो निकट बिठावै॥
लै भागै मोहि खेलहिं खेल।
क्यों सखि साजन, नहिं सखि रेल॥
सतएँ-अठएँ मा घर आवै।
तरह-तरह की बात सुनावै॥
घर बैठा ही जोड़ै तार।
क्यों सखि साजन, नहीं अखबार॥