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मुकरी-3 / कैलाश झा ‘किंकर’

भोजन कुछ नै हवा पीयै छै
तैय्यो खूब मगन जीयै छै
घर-घर जानै जेक्कर टायटिल
की सखि विषधर ?
नै सखि साइकिल।

पिछलग्गू लागै छै हरदम
मालिक लागै ओक्कर हमदम
जान गमाबै मेॅ अलबत्ता
की सखि बन्दर ?
नै सखि कुत्ता।

कखनो हँस्सै कखनो कानै
ओकरोॅ पीर नै दुनिया जानै
लागै दर्दे-दिल अफसाना
की सखि पागल ?
नै दीवाना।

बड़को-बड़को केॅ भरमाबै
छोटका केॅ तेॅ भीख मँगाबै
जेकरोॅ कारण जग बहुरूपिया
की सखि कुर्सी ?
नै सखि रुपया।