वतन के लिये जान देंगें हमेशा
नयी एक पहचान देंगें हमेशा।
हमे इसने' पाला है माँ बाप बनकर
इसे मान सम्मान देंगें हमेशा।।
उमड़ती है खुशी अब विपद की दीवार है ढहती
करो भंगड़ा बजाओ ढोल है मन की खुशी कहती।
थिरकते पाँव हैं सब के मगन होते कृषक सारे
फसल है पक गयी देखो नदी सी अन्न की बहती।।
सदा सत्य का दबदबा ही रहे
मिली झूठ को नित सजा ही रहे।
करो कर्म ऐसे सदा साथियों
सदा गर्व से सिर उठा ही रहे।।
भोर का सपना दिखाती जिंदगी
जब बुलाऊँ पास आती जिंदगी।
घिर रहे भीषण निराशा मेघ जब
आस का दीपक जलाती जिंदगी।।
कभी भोग जीवन सहारा न होता
किसी को कभी रोग प्यारा न होता।
न होता जो अवतार हरि का जगत में
अघी को किसी ने उबारा न होता।।