मुँह एकेटा मुदा देखियौ कतेक मुखड़ा लगौने रहैत अछि मनुक्ख। आदिकालसँ आइ धरि बदलि रहल अछि पल-पल अपन मुखड़ा। कखनो हिटलरक तँ कखनो लादेनक कखनो रामक तँ कखनो रावणक कखनो योगीक तँ कखनो भोगीक।