Last modified on 27 जनवरी 2008, at 23:24

मुखिया जी / भारत यायावर

मुखिया जी अब नहीं रहे मुखिया


मुखिया जी के घर में

कभी जमती थी बैठक

जमा होते थे

चार गाँव के लोग


चार गाँव की बातें

चार गाँव की इज्ज़त

होती थी एक

मुखिया जी की बैठक में


किसी की भी शादी में

मुखिया जी होते थे

अपने घर की तरह खड़े

किसी के श्राद्ध में

होते थे उसी तरह बेचैन

जैसे हुए थे अपनी माँ की मृत्यु पर दुखी


मुखिया जी पूरे गाँव की

नाक थे


पर यह कैसे हुआ

कि उनकी नाक पर एक मक्खी बैठ गई

उनकी नाक को कर गई गंदा


मुखिया जी धीरे-धीरे गाँव की

नाक की जगह

हो गए कान

अब

उनकी बातों से

किसी के कानों पर

जूँ तक नहीं रेंगती


मुखिया जी

हो गए अकेले

अपनी बैठक के

रह गए एकमात्र सहचर


मुखिया जी अब मुखिया नहीं रहे

और चार गाँव की बातें

चार गाँव की इज्ज़त

हो गई अलग-अलग