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मुजरिम / सुरजीत पातर
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रचनाकार:
सुरजीत पातर
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मुजरिम
मुजरिम
इन के हाथ से काँटे उगे हैं
बचकर रहना
लेकिन यह न भूलना
ये हाथ बींधकर उगे हैं
अनुवाद: चमन लाल