मुझ को संदेश मिला है तुम्हारा
सोचा था चिंता क्या, भेजोगी
मन की लहरें लिपि मे रख दे दोगी
यह सब केवल भ्रम था
मुझ को आदेश मिला है नहीं तुम्हारा
पथ तो, यह दुनिया है, कितने ही है
रथ तो वैभव भावित कितने ही है
इस चरणों में बल है
मुझ को निर्देश मिला है नहीं तुम्हारा
(रचना-काल - 04-11-48)