Last modified on 27 मई 2010, at 23:06

मुझमें / निर्मला गर्ग

मुझमें हवाएँ आसमान और सौरमंडल हैं
इस धरती पर जो कुछ है वह सब है
ख़ाली है अभी बहुत सी जगह मुझमें |

                         
रचनाकाल : 2004