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मुझे जीना ही होगा / ओसिप मंदेलश्ताम

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मुझे जीना ही होगा
हालाँकि मर चुका हूँ मैं
दो-दो बार

और नगर यह
बाढ़ के कारण बदहवास-सा है

कितना अच्छा था वह
कितना ख़ुश और कितना उदास
वैसे ही जैसे हल का फाल
चमकता है चिकना
जैसे अप्रैल के महीने में
दिखता है चटियल मैदान

और आकाश !
आकाश दिखाई देता है
जैसे अमर अनन्त वितान
यानी — तेरी बुओनारोत्ती<ref>कवि, चित्रकार और मूर्तिकार माइकेल एंजेलो का कुलनाम। बाद में विशालकाय रचनाएँ रचने की उनकी रचनात्मक-शैली को भी बुओनारोत्ती-शैली के नाम से पुकारा गया।</ref>

रचनाकाल : मई, 1935, वरोनिझ

शब्दार्थ
<references/>