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मुझे है याद / महेन्द्र भटनागर


मुझे है याद तेरा क्रूर पागल रूप हत्यारा,
बहायी थी जमीं पर बेरहम जब रक्त की धारा,
जलाये गाँव थे पूरे, उजाड़ी बस्तियाँ अगणित
मुझे है याद ज़ुल्मों का दमन इतिहास वह सारा !

नयन जिनने कि तेरी दानवी तसवीर देखी है,
हृदय जिसने असह घुटती हुई वह पीर देखी है,
कभी क्या भूल सकती हैं दुखी आहें गरीबों की
कि जिनने मूक मिटने की सदा तक़दीर देखी है ?

बग़ावत के गगन में मुक्त हो झंडे उठाये हैं,
शहीदी शान से जिनने अभय हो सिर कटाये हैं,
चरण जिनके सदा गतिशील आगे ही उठे दुर्दम
सतत संघर्ष में हर बार जिनने घर लुटाये हैं !

जलन की आग जो धधकी हृदय रह-रह जलाती है,
कहानी सिसकियाँ-आँसू भरी निर्मम सताती है,
चुनौती आज देता है सबल पुरुषार्थ यह मेरा
कि साँसें हर घड़ी तूफ़ान के धक्के बुलाती हैं !

कि तेरे राज में हमने जवानी को मिटाया है,
ठिठुरते नग्न बच्चों को सदा भूखा सुलाया है,
सुनहली भवन-जीवन-स्वप्न की दुनिया बनाने की
हमारी कामना को धूल में तूने मिलाया है !

जला देगी नयन के आँसुओं से फूटती ज्वाला
सभी बंधन विषमता के, अबुझ प्रतिशोध की हाला,
हमारी धमनियों में रक्त की नूतन भरी लहरें
प्रहारों से मिटेगा वर्ग शोषक क्रूर मतवाला !