हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मुझ सेवक की लाज राख जगदम्बा बेरी आली हे
मात संत हितकारी करी तन्नै सिंह सवारी हे
मात सदा तेरे पै छत्र सुवर्ण साजै
नगरकोट तज मेले के दिन बेरी आन बिराजै
मुझ सेवक की लाज राख जगदम्बा बेरी आली हे
मात संत हितकारी करी तन्नै सिंह सवारी हे
मात सदा तेरे पै छत्र सुवर्ण साजै
नगरकोट तज मेले के दिन बेरी आन बिराजै