मुड़ गए जो रास्ते चुपचाप
जंगल की तरफ़,
ले गए वे एक जीवित भीड़
दलदल की तरफ़ ।
आहटें होने लगीं सब
चीख़ में तब्दील,
हैं टँगी सारे घरों में
दर्द की कन्दील,
मुड़ गया इतिहास फिर
बीते हुए कल की तरफ़ ।
मुड़ गए जो रास्ते चुपचाप
जंगल की तरफ़,
ले गए वे एक जीवित भीड़
दलदल की तरफ़ ।
आहटें होने लगीं सब
चीख़ में तब्दील,
हैं टँगी सारे घरों में
दर्द की कन्दील,
मुड़ गया इतिहास फिर
बीते हुए कल की तरफ़ ।