खोटो बेटो आज काम को
खोटो बेटो आज काम को, खोटो रूप्यो आज काम को।
एक दिन खोळो बांधि लिजियो राम॥2॥
खोटा रूप्या की ओरावणी करि दिजो राम,
खोटी बहु आज काम की राम, एक दिन भोजन बणाइ देवो,
खोटी बहु आज काम की राम॥2॥
आज को वो भोजन जिमाड़ि देवो राम॥2॥
खोटी बेटी आज काम की, एक दिन मसरू ओढ़ाई दीजो॥
खोटी बेटी आज काम की॥2॥
खोटो जवाँ आज काम को, एक दिन काण मोड़ाइ देवो राम,
खोटो जवाँ आज काम को॥
भजन में कहा गया है कि- माता-पिता के अन्तिम संस्कार के लिए खोटा पुत्र,
खोटा रुपया, खोटी बहू, खोटी बेटी, खोटा जवाँई सभी काम के हैं। खोटा पुत्र
भी अन्तिम संस्कार के लिए आवश्यक है क्योंकि माता-पिता का अन्तिम संस्कार
अगर पुत्र न करे तो उसकी आत्मा को शान्ति नहीं मिलती है। खोआ रुपया भी
शव पर काम आ सकता है। खोटी बहू भी काम की है। मृतक के लिए भोजन
बनाती है। बेटी भी मसरू शव पर ओढ़ा देती है। जवाँई भी अन्तिम संस्कार के
लिए काम का है, क्योंकि नुक्ते में काण भाँजने के लिए बकरा लाता है। तात्पर्य
यह है कि इनके बिना मृतात्मा को शान्ति नहीं मिलती है।