ईश्वर का घर
मुन्नार के शिखर
मधुरपुजहा, नल्लाथन्नी
कुंडाली नदियों से आवृत
मखमली पहाड़ियाँ
सुदूर फैले चाय के बागान
बिछा दिया हो जैसे
कुशल कारीगर ने
डिजाइनदार गलीचा
चहुँ ओर फैली
चाय की भीनी सुगंध
लाल गोंद के वृक्षों से घिरा
देवीकुलम का प्रपात
नुकीले टेढ़े मेढ़े पाषाण
झर-झर गिर रही झरने की धार
छेड़ रही नया नगमा
शीतल बयार
झूम उठे पल्लव
बजा रहे तालियाँ
मिली है सुखद खबर
बारह वर्ष बाद
खिल गया नीलकुरिंजी पुष्प
हर्ष से बौरा रहे चन्दन वन
सुवासित पवन
नारियल वृक्षों से घिरी
बह रही मट्टुपेट्टी झील
पहाड़ियों की गोद में
जैसे मीठी नींद सो रही
नीलगिरि तहर
निर्भय विचरण कर रहे
राजमाला के शिखर पर
दुर्लभ वनस्पतियाँ
औषधियाँ यहाँ
रबड़ प्लांट के बागान
अब हो गयी थकान
चलें काफी के बागान
चाकलेट की मिठास
देती भरपूर ऊर्जा
काफी की एक प्याली
मिटा देती थकान।