मुन्ना गाछी तर बैठी केॅ
मुन्ना करै बिचार
कत्तेॅ बढ़िा हुवै अगर जौं
आम मिली जाय चार
बड़का बड़का आम लटकलोॅ
रहै फुलंगी तांयँ में सटलो
कच्चा आमी बीच बीच में
झलकै रै एकाथ ठो पकलोॅ
गाछें सोचलक, बाल मनोॅ पर
लगेॅ नै देबै धक्का
ऐ लेली गाछीं, मुन्ना केॅ
आम खिलैतै पक्का
बस एतन्है में गाछी पर सें
टप सें आम टपकलै
रहै, गनीमत खाट पर गिरलै
माथोॅ फुटै सें बचलै
कच्चा के बदला गाछी नें
आम जें देलकै पक्का
तुरत उठाय केॅ खुसी सें मुन्ना
मारलक एक चभक्का