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मुरगै री पै‘ली बांग / रामस्वरूप किसान

मुरगै री
पै‘ली बांग
दड़बै री कैद सूं
छूटण सारू
आदमी साम्हीं
करयोड़ी अरज है
जद कै
आदमी जिनावर रै
इण दरद नै ई
घड़ी रै रूप में
बरतै।